Comments by "आशिक ए फजूल🛐🐜" (@aashiq-e-fazool) on "Hindustan Times" channel.

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  7. भारतीय इतिहास में शत्रुबोध, आदर्शवाद का परिणाम जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह दाराशिकोह की तरफ से औरंगज़ेब के विरुद्ध लड़े। उनके सैनिकों ने औरंगज़ेब की सेना पर रात को हमला करने की सलाह दी, लेकिन जसवंत सिंह ने अपने आदर्शों के चलते यह नहीं माना और 6000 सैनिक मारे गए, जसवंत सिंह हार गए, शुक्र है जान बच गयी। साथ में भारत की इतिहास बदल गया। जसवंत सिंह जी को शत्रु बोध नहीं था, उन्होंने पृथ्वी राज चौहान जी के इतिहास से नहीं सीखा कि किस सांप से लड़ रहे हैं नहीं तो भारत का इतिहास कुछ और होता, शायद औरंगज़ेब की जगह दाराशिकोह राजा बनता। शिवाजी को शत्रुबोध था। उन्होंने शाइस्ता खान पर रात को भेष बदल कर हमला किया। अफ़ज़ल खान का बाघनख से वध किया। कोई अगर मगर नहीं, कोई आदर्शवाद नहीं। ठीक वैसे जैसे पाकिस्तान हिंदुस्तान पर पठानकोट, दिल्ली, कश्मीर पर आतंकी हमले करवाता है। राजा जसवंत सिंह जी के पुत्र राजा अजीत सिंह को शत्रुबोध था, उन्होंने ऐसे नियमों आदर्शों को ताक पर रख दिया और छल का बदला छल से लिया। राजपूत राजा अजीत सिंह से औरंगज़ेब के पोते मुग़ल राजा फरुखसियर ने अजीत सिंह की लड़की मांगी। फरुखसियर वही है जिसने बाबा बन्दा बहादुर की आंखें निकाल ली थीं और उन्हें बहुत क्रूरता से मारा था। उसे लगा वो बहुत बड़ा ग़ाज़ी है, इस कृत्य से उसे हूरगति प्राप्त होगी। खैर उसकी मनोकामना जल्दी पूरी होने वाली थी।उसे क्या पता था कि तीन वर्ष में उसकी खुद की आंखें निकलनी वाली हैँ। राजा अजीत सिंह ने पहले मना कर दिया बाद में मान गए। उन्होंने चुपचाप अपनी लड़की के स्थान पर अपनी नौकरानी की लड़की दे दी। बाद में फरुखसियर के दरबारियों व अन्य राजाओं के साथ मिलकर लाल किले में घुस कर फरुखसियर की आंखें निकाल दी और उसकी हत्या करके शव दरवाज़े पर टांग दिया। इसके चर्चे ईरान तक हुए। इस काम में उन्हें सय्यद बन्धुओं का सहयोग मिला। इसके 2 वर्ष बाद सय्यद बन्धुओं का भी कत्ल हो गया और 5 वर्ष बाद राजा अजित सिंह जी का भी। उनका ये पराक्रम इतिहास में नहीं पड़ाया जाता। यदि औरंगज़ेब के साथ शिवाजी की तरह और लोगों ने भी ऐसी हिम्मत दिखाई होती तो उसकी इतनी हिन्दू दमन की हिम्मत न पड़ती। न ही वो भाई दयाला जी को पतीले में उबाल पता, न ही भाई मति दास जी को आरी से काट पाता, न भाई सती दास को रुई में जलाया जाता। हालांकि सतनामी, गुरु गोबिंद सिंह जी ने बहुत संघर्ष किया लेकिन इसके महल में घुस कर उसकी गर्दन पकड़ने वाला काम कोई नहीं कर सका। औरंगज़ेब वाली यही विचारधारा आधुनिक भारत में कश्मीर में हिंसक समाज ने हिंदुओं पर दिखाई। एक हिन्दू लड़की को बलात्कार करके ज़िंदा आरा मशीन पर काटा। एक हिन्दू को तेजाब के ड्रम में फेंक दिया। इस कार्य में उनके जालीदार टोपी वाले पड़ोसी भी शामिल थे। मस्जिद murder coordination center बन गई थीं। देश के बाकी हिन्दू समाज ने भी इसके प्रति चेतना व संगठन नहीं दिखाया। और क्रूर इतिहास दोहराया गया।
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  9. राजपूत राजा अजीत सिंह से औरंगज़ेब के वंशज राजा फरुखसियर ने अजीत सिंह की लड़की मांगी। फरुखसियर वही है जिसने बाबा बन्दा बहादुर को बहुत क्रूरता से मारा था। राजा अजीत सिंह ने पहले मना कर दिया बाद में मान गए। उन्होंने अपनी लड़की के स्थान पर अपनी नौकरानी की लड़की दे दी। बाद में लाल किले में घुस कर फरुखसियर की आंखें निकाल दी और उसकी हत्या कर दी। उनका ये पराक्रम इतिहास में नहीं पड़ाया जाता। यदि औरंगज़ेब के साथ भी किसी ने ऐसी हिम्मत दिखाई होती तो उसकी इतनी हिन्दू दमन की हिम्मत न पड़ती। न ही वो भाई दयाला जी को पतीले में उबाल पता, न ही भाई मति सिंह जी को आरी से काट पाता, न भाई सती दास को रुई में जलाया जाता। औरंगज़ेब वाली यही विचारधारा कश्मीर में हिंसक समाज ने हिंदुओं पर दिखाई। एक हिन्दू लड़की को बलात्कार करके ज़िंदा आरा मशीन पर काटा। एक हिन्दू को तेजाब के ड्रम में फेंक दिया। इस कार्य में जालीदार टोपी वाले पड़ोसी भी शामिल थे। मस्जिद murder coordination center बन गई थीं।
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