Comments by "चतुर्वेदी हर्ष" (@hershchat) on "WION" channel.

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  2. प्राचीन भारत के युयुत्सु को “भारत”, व आधुनिक नागरिकों को “भारतीय” क्यों कहा है? हम भारत नहीं, भारतीय क्यों हुए? प्राचीन व आधुनिक भारत में अनेक भौतिक व आध्यात्मिक भेद हैं। भारत किसी राष्ट्र का नाम नहीं, एक आध्यात्मिक साम्राज्य रहा है। स्वयं राजा भरत ने अपने अधिपत्य को भारत संज्ञा नहीं दी। स्वातंत्र्य उपरांत आध्यात्मिक भारत का आधुनिक भारत में अवतरण नहीं हुआ। आध्यात्मिक भारत संस्कार, संस्कृति, व सिद्धांतों के परिकलन से उत्पन्न एक परिकल्पना था। किसी भी काल इसका सर्वसम्मत समवैधानिक नियोजन नहीं हुआ। भारत राजनैतिक सत्ता कदापि नहीं रहा। सीमांत प्रांतों में विप्लव सामान्य होते हैं, किंतु कश्मीर प्रकश्ण का विशेष कारण भारत-भारतीय भेद में निहित है। कश्मीर विवाद आधुनिक व प्राचीन अभिधेय “भारत” के द्वन्दों की सृष्टि है। प्राचीन भारत का अखंड अंग कश्मीर आधुनिक भारत की जन्मसात धरोहर नहीं है। कश्मीर को भारत के अनुरूप नहीं, भारत तो भारत के अनुरूप बनना सिद्ध ध्येय व तीर्थ है।
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